एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कीन्ह दया more info तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
त्रिपुरासुर Shiv chaisa सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि Shiv chaisa भेद नहिं पाई॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
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